Written by : प्रमुख संवाद
कोटा, 21 अप्रैल।
जिला कलेक्ट्रेट सभागार में सोमवार को बाल संरक्षण इकाई एवं बाल अधिकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बाल विवाह रोकथाम को लेकर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों, एनजीओ, प्रिंटिंग प्रेस और टेंट हाउस संचालकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यशाला की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला कलेक्टर (सीलिंग) कृष्णा शुक्ला ने की। उन्होंने बाल विवाह को एक दंडनीय अपराध बताते हुए सभी विभागों, सामाजिक संगठनों और आमजन से इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध एकजुट होकर कार्य करने की अपील की। शुक्ला ने बताया कि विवाह में शामिल हर व्यक्ति कानून के अंतर्गत उत्तरदायी माना जाएगा, यदि वर-वधू की आयु निर्धारित मानदंड से कम पाई जाती है। उन्होंने कहा कि विवाह के लिए लड़कियों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष तय की गई है।
शिक्षा विभाग को निर्देशित किया गया कि आखा तीज के दौरान यदि कोई छात्र-छात्रा लंबी छुट्टी पर जाता है, तो उसकी जानकारी तुरंत प्रशासन को दी जाए। सामाजिक न्याय विभाग को सामूहिक विवाह आयोजनों में वर-वधू की आयु सत्यापन सुनिश्चित करने को कहा गया।
कार्यशाला में बताया गया कि जिले के सभी मैरिज गार्डन और सामुदायिक भवनों में “बाल विवाह अपराध है” की चेतावनी प्रदर्शित की जाएगी। साथ ही, विवाह आमंत्रण पत्रों में वर और वधू की जन्मतिथि का उल्लेख अनिवार्य करने का सुझाव भी दिया गया।
इस अवसर पर बाल विवाह के दुष्परिणामों पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म भी प्रस्तुत की गई। धर्मगुरुओं से अपील की गई कि वे अपने प्रवचनों और सामाजिक आयोजनों में बाल विवाह के खिलाफ जन-जागरूकता बढ़ाएं।
चाइल्ड लाइन के यज्ञ दत्त हाड़ा ने कार्यक्रम का समन्वय करते हुए बाल विवाह निरोधक अधिनियम की विस्तृत जानकारी दी।
एडीएम ने आमजन से आग्रह किया कि बाल विवाह की सूचना मिलने पर 112 (पुलिस), 1098 (चाइल्ड हेल्पलाइन) या जिले के कॉल सेंटर पर तुरंत संपर्क करें।