पूर्वी राजस्थान को मिलेगा जीवनदायिनी जल, चम्बल नदी पर बनेगा 2.3 किमी लंबा एक्वाडक्ट

Written by : Sanjay kumar


जयपुर, 17 अप्रैल।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में पूर्वी राजस्थान को जल संकट से राहत दिलाने के लिए संशोधित पार्बती-कालीसिंध-चम्बल (पीकेसी) लिंक परियोजना पर मिशन मोड में कार्य किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत चम्बल नदी पर 2.3 किलोमीटर लंबा एक्वाडक्ट बनाया जाएगा, जिसके लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।

परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत 9,400 करोड़ रुपये के कार्यादेश जारी कर कार्य आरंभ किया जा चुका है। इसी चरण के पैकेज-2 के अंतर्गत, लगभग 2,330 करोड़ रुपये की लागत से चम्बल नदी को पार करने के लिए एक्वाडक्ट का निर्माण किया जाएगा। यह एक्वाडक्ट पीपलदा समेल गांव से गोहाटा गांव तक फैलेगा और इसके जरिए कालीसिंध से जल उठाकर मेज नदी में छोड़ा जाएगा।

इसके अतिरिक्त, नवनेरा बैराज से मेज एनिकट तक फीडर निर्माण कार्य भी शीघ्र शुरू होने जा रहा है। इसके लिए 328 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहण का अवार्ड शीघ्र जारी किया जाएगा और प्रभावितों को नियमानुसार मुआवजा प्रदान किया जाएगा।

वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से परियोजना को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी प्राप्त हो चुकी है और 24.05 हैक्टेयर वन भूमि प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। परियोजना स्थल पर कार्य एजेंसी द्वारा कैम्प स्थापित किया जा चुका है और कास्टिंग यार्ड, बैचिंग प्लांट जैसे निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं। सर्वेक्षण एवं अनुसंधान पूर्ण कर डिजाइन और ड्राइंग तैयार कर ली गई है।

मुख्यमंत्री के निर्देशन में ईआरसीपी को वृहद रूप देते हुए संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी एकीकृत योजना तैयार की गई है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 90,000 करोड़ रुपये है। इस योजना के प्रथम चरण में राजस्थान के 17 जिलों को पेयजल और औद्योगिक जल आपूर्ति की सुविधा प्राप्त होगी।

राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकारों के बीच जनवरी 2024 में हुए एमओयू तथा 17 दिसंबर 2024 को जयपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हुए एमओए आदान-प्रदान के बाद परियोजना को गति मिली है।

जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा,
“मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुसार एक्वाडक्ट का निर्माण कार्य समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण रूप से पूर्ण किया जाएगा। हमारा उद्देश्य है कि पूर्वी राजस्थान को शीघ्र जल उपलब्ध कराया जाए।”


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