Written by : प्रमुख संवाद
कोटा, 5 अप्रैल। मुकुंदराविहार स्थित हरे कृष्ण मंदिर में इस वर्ष रामनवमी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन की अनोखी छटा बिखेरेगा, जहाँ भक्ति, ज्ञान और प्रेम की त्रिवेणी बहेगी। इस महोत्सव की भव्यता, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण कार्यक्रम न केवल रामभक्तों के लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे।
रामनवमी पर मंदिर परिसर को अयोध्या की दिव्यता से सजाया जाएगा। श्रीरामलला की अत्यंत सुंदर झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी, जो श्रद्धालुओं को प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव के उस दिव्य क्षण से जोड़ देगी जब अयोध्या में शंखनाद के साथ भगवान राम का अवतरण हुआ था। साथ ही मंदिर में श्री श्री गौर निताई का मनमोहक श्रृंगार किया जाएगा, जो भक्तों के मन को अत्यंत आनंदित करेगा।
शाम के समय सांय 6.30 बजे गोधूलि की पावन वेला में विशेष “राम तारक हवन” होगा। अग्निकुंड के समक्ष जब ‘राम रामेति रमे रामे’ की ध्वनि गूंजेगी, तब वातावरण एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाएगा। यह हवन न केवल वातावरण की, बल्कि मन, वचन और कर्म की भी शुद्धि का माध्यम बनेगा।
इसके बाद प्रस्तुत किया जाएगा ” श्री नाम रामायण” का सामूहिक संगीतमय गायन, जिसमें बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक श्रीराम के जीवन की दिव्य कथा को भक्तिमय स्वरों में पिरोया जाएगा। इस संगीतमय प्रस्तुति में श्रद्धालु भावविभोर होकर प्रभु श्रीराम के चरणों में समर्पण का अनुभव करेंगे।
रात्रि 8 बजे होगी श्रीरामलला की भव्य महाआरती, जिसमें मंदिर प्रांगण घंटे-घंटियों, शंखों और जय श्रीराम के उद्घोषों से गूंज उठेगा। भक्तों का उत्साह और भावभक्ति का ज्वार इस आरती में अपनी चरम सीमा पर होगा।
इस उत्सव की विशेषता है एक प्रेरणादायक धार्मिक व्याख्यान, जिसमें श्रीराम के जीवन से जुड़े मूल्य जैसे धैर्य, कर्तव्यनिष्ठा, सेवा, और निष्कलंक चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला जाएगा। यह प्रवचन जीवन को सही दिशा देने और चरित्र निर्माण में सहायक सिद्ध होंगे।
कार्यक्रम के अंत में सभी भक्तों के लिए प्रेमपूर्वक निर्मित शुद्ध सात्विक भोग-प्रसाद वितरित किया जाएगा। यह प्रसाद न केवल शरीर को, बल्कि आत्मा को भी तृप्त करने वाला होगा।
हरे कृष्ण मंदिर द्वारा आयोजित यह रामनवमी महोत्सव 2025 एक ऐसे आध्यात्मिक आयोजन का स्वरूप ले चुका है, जिसमें भक्तों को प्रभु श्रीराम के दर्शन, उनकी लीलाओं का रसास्वादन और उनके आदर्शों को आत्मसात करने का अनुपम अवसर मिलेगा। निश्चित रूप से यह आयोजन भक्तों के हृदय में राम नाम की अमिट छाप छोड़ जाएगा।