Written by : Sanjay kumar
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: संसद में भारी हंगामा, अमित शाह ने विपक्ष पर लगाया देश को तोड़ने का आरोप
नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025: लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर जोरदार बहस हुई, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश किए गए इस विधेयक का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया, वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने इसे पारदर्शिता लाने वाला और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने वाला बताया।
वक्फ और वक्फ बोर्ड में अंतर क्या है?
गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में समझाया कि वक्फ एक इस्लामी धार्मिक व्यवस्था है, जिसके तहत संपत्ति को स्थायी रूप से धार्मिक, सामाजिक या कल्याणकारी कार्यों के लिए समर्पित किया जाता है। इन संपत्तियों को बेचा या निजी लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, वक्फ बोर्ड एक प्रशासकीय निकाय है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और निगरानी के लिए जिम्मेदार होता है। वक्फ बोर्ड सरकारी अधिनियम के तहत कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग किया जाए।
अमित शाह का बड़ा बयान: “गैर-मुस्लिमों की कोई भूमिका नहीं”
लोकसभा में अपने संबोधन में अमित शाह ने स्पष्ट किया कि वक्फ धार्मिक है, लेकिन वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद धार्मिक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी फैलाई जा रही है कि सरकार मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह गलत धारणा है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण चाहती है। वक्फ और उसके मुतवल्ली मुस्लिम समुदाय से ही होंगे।”
“विपक्ष देश को तोड़ना चाहता है” – अमित शाह
अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दल जानबूझकर मुसलमानों को भड़का रहे हैं और झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा, “वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया है। विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति कर रहा है और देश को बांटने की कोशिश कर रहा है।”
विपक्ष ने जताई आपत्ति, सरकार ने दिया जवाब
विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों में कटौती करने की कोशिश है। कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे ‘एकतरफा कानून’ बताया और कहा कि इससे मुस्लिम समुदाय में भय का माहौल पैदा हो सकता है। हालांकि, अमित शाह ने जवाब में कहा, “यह बिल किसी भी धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित नहीं करेगा बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल न हो।”
“वक्फ संपत्तियों के अवैध उपयोग पर लगेगी रोक”
अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों को औने-पौने दामों पर सौ साल के पट्टे पर देने जैसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन चाहती है ताकि उनका धार्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए सही उपयोग हो सके।
आगे क्या?
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर अब राज्यसभा में चर्चा होगी, जहां इसके पारित होने की संभावना है। इस बीच, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विधेयक आगामी चुनावों से पहले बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
निष्कर्ष
वक्फ और वक्फ बोर्ड को लेकर जारी यह बहस न सिर्फ धार्मिक बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील है। सरकार जहां इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बता रहा है। आने वाले दिनों में इस पर और भी गर्मागर्म बहस देखने को मिल सकती है।