Written by : प्रमुख संवाद
Published : 25 मार्च 2025
कोटा : राजस्थान सरकार द्वारा लाया गया “राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025” राज्य के कोचिंग संस्थानों को एक नियामक ढांचे में लाने और छात्रों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विधेयक कोचिंग सेंटरों की पारदर्शिता बढ़ाने, शिक्षा के व्यापारीकरण पर रोक लगाने, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और करियर मार्गदर्शन को सुनिश्चित करने जैसे अहम मुद्दों को संबोधित करता है।
अभाविप का समर्थन और सुझाव
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) इस विधेयक का स्वागत करती है और इसे एक सकारात्मक पहल मानती है। इस विधेयक से कोचिंग संस्थानों की जवाबदेही तय होगी, शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार आएगा, और छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव को नियंत्रित किया जा सकेगा।
हालांकि, अभाविप का मानना है कि विधेयक को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुधार आवश्यक हैं:
- अधिकतम अध्ययन समय: कोचिंग कक्षाओं की अधिकतम अवधि 5 घंटे से घटाकर 3 घंटे की जानी चाहिए, ताकि छात्रों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।
- निगरानी समिति में विशेषज्ञों की भागीदारी: राज्य स्तरीय नियंत्रण प्राधिकरण और समिति में शिक्षाविदों एवं शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों को जोड़ा जाए।
- डमी स्कूलों पर रोक: कोचिंग के कारण स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम हो रही है। डमी स्कूल संस्कृति पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
- फीस नियंत्रण बोर्ड का गठन: कोचिंग संस्थानों द्वारा मनमानी फीस वसूली पर रोक लगाने के लिए एक स्वतंत्र फीस नियंत्रण बोर्ड का गठन आवश्यक है।
- भ्रामक विज्ञापनों पर कड़ी कार्रवाई: संस्थानों द्वारा किए जा रहे भ्रामक प्रचार-प्रसार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- ऑनलाइन कोचिंग का नियमन: विधेयक में केवल फिजिकल कोचिंग पर ध्यान दिया गया है, जबकि ऑनलाइन कोचिंग की गुणवत्ता, फीस संरचना और भ्रामक विज्ञापनों पर भी नियम बनाए जाने चाहिए।
- छात्रों की न्यूनतम आयु सीमा: केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोचिंग जाने की न्यूनतम आयु 16 वर्ष निर्धारित होनी चाहिए।
- शिक्षकों के चयन का अधिकार: छात्रों को यह विकल्प मिलना चाहिए कि वे अपनी पसंद के शिक्षक से पढ़ सकें, जिससे संस्थानों द्वारा भ्रामक दावे न किए जाएं।
- मानसिक स्वास्थ्य और करियर मार्गदर्शन: कोचिंग संस्थानों में स्टूडेंट हेल्पलाइन, तनाव प्रबंधन कार्यशालाएं और लाइफ स्किल ट्रेनिंग अनिवार्य की जानी चाहिए।
- छात्रावासों की गुणवत्ता और सुरक्षा: हॉस्टल एवं भोजनालयों की गुणवत्ता को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए जाने चाहिए।
राज्य सरकार से अपेक्षा
अभाविप के प्रदेश मंत्री जितेंद्र लोधा ने कहा कि राज्य सरकार को इन बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, जिससे यह विधेयक और अधिक प्रभावी बन सके। अगर इन सुझावों को शामिल किया जाता है, तो कोचिंग संस्थान अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनेंगे, जिससे छात्रों को एक बेहतर शिक्षण वातावरण मिलेगा। अभाविप को पूर्ण विश्वास है कि सरकार इन सुझावों को संज्ञान में लेकर शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करेगी।