इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस चेप्टर कोटा द्वारा विश्व जल दिवस 2025 पर सेमीनार का आयोजन

Written by : प्रमुख संवाद

कोटा, 23 मार्च। इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस चेप्टर कोटा द्वारा 22 मार्च को विश्व जल दिवस 2025 सार्वजनिक निर्माण विभाग सभागार में मनाया गया। आई.बी.सी कोटा चेप्टर के चैयरमेन एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग के पूर्व अति. मुख्य अभियंता सुरेश कुमार बैरवा ने प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन में बताया कि विश्व जल दिवस 2025 की थीम ग्लेशियर संरक्षण है। विश्व जल दिवस वर्ष 1993 से प्रतिवर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। ग्लेशियर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। इनका पिघला हुआ पानी पीने, उद्योग, स्वच्छ उर्जा उत्पाद और स्वच्छ परिस्थिति तंत्र के लिए आवश्यक है। तेजी से पिघलते ग्लेशियर जल प्रवाह में अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं। जिसका लोगोें एवं पृथ्वी पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इस विश्व जल दिवस पर हमें जलवायु परिवर्तन और वैश्विक जल संकट से निपटने के लिए ग्लेशियर संरक्षण को अपनी योजनाओं के केन्द्र में रखकर कार्य करना चाहिए।

विश्व जल दिवस पर संदेश है कि ग्लेशियर पहले से कहीं ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं। जिससे बाढ़, सूखा, भूस्खलन और समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और पारिस्थिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है। हिमनदों के पीछे हटने से तबाही का खतरा है और ग्लेशियर संरक्षण एक अस्तित्व की रणनीति है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अति. मुख्य अभियंता डी.एन. व्यास ने कहा कि विश्व जल दिवस पर सभी लोग जल की महत्ता को समझें व जल का अपव्यय रोंके। जल का संरक्षण करें तथा पर्यावरण को वृक्ष लगाकर स्वच्छ बनायें। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण हमारी पृथ्वी गर्म होती जा रही है। हमारे ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं। जिससे जलचक्र और भी अप्रत्याशित और चरम होता जा रहा है। अरबों लोगों के लिए पानी का प्रवाह बदल रहा है। पर्यावरण के लिए पिघले पानी का अधिक टिकाउ तरीके से प्रबंधन के लिए मिलकर कार्य करना चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रिटायर्ड भूजल वैज्ञानिक भूजल विभाग प्रवल अथइया ने पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि पिघलते हिमनदों को यदि बचाना है तो बढ़ते तापमान और तापमान विकिरण को कम करने के प्रयास हर क्षेत्र में करने होंगे। इस धरती को वापस हरा-भरा करने की दिशा में व्यक्तिगत प्रयासों को बढाना होगा। हिमनदों के पिघलने का असर पर्यावरण के साथ-साथ मानव जीवन पर भी पड़ रहा है। हिमालय के हिमनदों के पिघलने की गति अन्य हिमनदों से ज्यादा है। इन्हीं से हमारी पवित्र नदियां जीवित हैं। सभी को अपने स्तर पर से वातावरण के तापमान को कम करने के प्रयास करने होंगे।

कार्यक्रम का संचालन व अन्त में धन्यवाद आई.बी.सी चैप्टर कोटा के सचिव हेमन्त शर्मा ने किया। कार्यक्रम में आई.बी.सी. कोटा चेप्टर के चैयरमेन एवं पीडब्ल्यूडी के पूर्व अति. मुख्य अभियंता सुरेश कुमार बैरवा, मुख्य अतिथि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता डी.एन.व्यास, रिटायर्ड भूजल वैज्ञानिक प्रवल अथइया, कोटा चेप्टर के वाइस चैयरमेन व पूर्व एसई वी के जैन समेत अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।

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