Written by : Sanjay kumar
Published : 21 March 2025
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में लगी आग ने एक अप्रत्याशित खुलासा कर दिया। दमकल कर्मियों द्वारा आग पर काबू पाने के बाद, उनके निवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई, जिससे न्यायिक हलकों में हड़कंप मच गया। इस सनसनीखेज मामले ने न्यायपालिका की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को तत्काल कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा।
आग से खुला ‘रहस्यमयी’ गुप्त खजाना!
मिली जानकारी के अनुसार, जब जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगी, उस समय वह शहर से बाहर थे। उनके परिवार ने तुरंत दमकल और पुलिस को सूचना दी। आग बुझाने के बाद, जब प्रशासनिक अधिकारियों ने निरीक्षण किया, तो एक कमरे से बड़ी मात्रा में नगदी बरामद हुई। इस खुलासे ने न्यायपालिका की साख को झकझोर कर रख दिया है।
तुरंत तबादला, इस्तीफे की मांग तेज!
घटना के तुरंत बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई और जस्टिस वर्मा का तत्काल इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का फैसला लिया। हालांकि, कुछ वरिष्ठ न्यायाधीश इस कदम को अपर्याप्त मानते हुए उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
इन-हाउस जांच का दबाव – क्या होगी अगली कार्रवाई?
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि केवल तबादला करना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि इस मामले की गहन जांच की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के 1999 में स्थापित इन-हाउस प्रक्रिया के तहत, किसी भी जज पर संदेह की स्थिति में मुख्य न्यायाधीश (CJI) को उनसे स्पष्टीकरण मांगने का अधिकार है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
क्या न्यायपालिका की साख दांव पर?
यह मामला केवल एक जज से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरी न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है। अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह देश की न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास को गहरा नुकसान पहुंचा सकता है। अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या बड़ा कदम उठाता है?