Written by: प्रमुख संवाद
कोटा, 15 मार्च।
शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ मथुराधीश मंदिर पाटनपोल की ओर से छप्पन भोग परिसर प्रथमेश नगर में होली संगीत संध्या आयोजित की गई। कार्यक्रम में प्रथम पीठ युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बावा, प्रथम पीठ युवरात्मज लालन कृष्णास्य बावा उपस्थित रहे। इस दौरान वेव्ज ऑफ हरिनाम बैंड की ओर से होली कीर्तन गायन किया गया। इस अवसर पर देर रात तक होली के रसिया का गायन और भक्तों का धमाल चलता रहा। वहीं वल्लभाधीश, मथुराधीश प्रभु और वृषभानु दुलारी राधे रानी के जयकारे भी गूंजते रहे।




बैंड की ओर से होली गान की शुरुआत करते हुए “ओ बृजवासी सांवरे.. गोवर्धनवासी सांवरे.. तुम बिन रह्यो न जाय.., “वृंदावन आज मची होरी..” गाया। इसके बाद उन्होंने ठाकुर जी और राधा किशोरी के श्रृंगार और वस्त्र सेवा का वर्णन किया। उन्होंने “श्यामा श्याम सलोनी सूरत श्रृंगार बसंती है.. तथा मृगनयनी को यार नवल रसिया.. गाया। जब बैंड की ओर से “रसिया को नार बनाओ री.. की प्रस्तुति दी गई तो मौजूद भक्त घूंघट ओढ़कर नृत्य करने लगे। इसके बाद उन्होंने “नटखट ठिठोली को गाते हुए “चुपके से आयो नंदलाल री मो पे रंग डाल गयो री .. की प्रस्तुति दी।
होली के रसिया के जयकारों के बीच फाग के रंग बिखेरते हुए “चलो रे मन श्री वृंदावन धाम, मिलेंगे कुंज बिहारी…, आज बिरज में होरी रे रसिया… फागणियो आई गयो सांवरिया गिरधारी..” की प्रस्तुतियां दीं तो भक्त झूम उठे। उन्होंने फूलों की बौछार के बीच “राधे तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए, श्यामा तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए.. सच कहता हूं मेरी तकदीर बदल जाए.., मन बड़ा चंचल है कैसे तेरा भजन करूं… अधरम मधुरम गमनम मधुरम मधुरातिपति.. भजमन राधा गोविंद… सरीखे कीर्तनों की प्रस्तुति से छप्पन भोग परिसर को आनंद के रस में भिगो दिया।