राजस्थान पुलिस में होली विवाद: आदेश या अधिकारों का अतिक्रमण?

Written by : Sanjay kumar

जयपुर, 15 मार्च 2025: राजस्थान पुलिस विभाग में इस बार होली पर जश्न से ज्यादा विवाद देखने को मिला। पुलिसकर्मियों ने अपनी लंबित मांगों—मुख्य रूप से वेतन विसंगति और डीपीसी (पदोन्नति प्रक्रिया) में सुधार—को लेकर होली का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था। लेकिन, इसके बावजूद, विभागीय अधिकारियों द्वारा उन्हें जबरन पुलिस लाइन में बुलाकर होली खेलने के निर्देश दिए गए, जिससे पुलिस महकमे में रोष और बढ़ गया।

क्यों बहिष्कार कर रहे पुलिसकर्मी?

पुलिसकर्मियों की मुख्य शिकायत वेतन और पदोन्नति को लेकर है। अन्य विभागों की तुलना में राजस्थान पुलिस के सिपाहियों को समान अवधि की सेवा के बाद भी कम वेतनमान और ग्रेड पे मिलती है।

  • 9 साल की सेवा के बाद: पटवारी और कनिष्ठ लिपिक की ग्रेड पे 3200 तक पहुँच जाती है, जबकि सिपाही की सिर्फ 2000 रहती है।
  • 27 साल की सेवा के बाद: तहसीलदार और कार्यालय अधीक्षक को 4200 ग्रेड पे मिलती है, लेकिन सिपाही को उप-निरीक्षक बनने पर भी सिर्फ 3600 ग्रेड पे मिलती है।
  • पुलिसकर्मियों का आरोप है कि वर्षों से लंबित मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

आदेश के खिलाफ नाराजगी

पुलिसकर्मियों का कहना है कि अगर उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध का निर्णय लिया है, तो उन्हें जबरन होली खेलने के लिए मजबूर करना तानाशाही से कम नहीं है। यह आदेश उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

कौन-कौन से जिले विवाद की चपेट में?

  • होली का बहिष्कार: जयपुर, अजमेर, राजसमंद, कोटा
  • होली का आयोजन: भरतपुर, करौली (जहां SP और अन्य अधिकारी पुलिसकर्मियों संग होली खेलते नजर आए)
  • मिश्रित स्थिति: कोटपूतली, अलवर – जहां कुछ जगह आयोजन हुआ और कुछ जगह बहिष्कार जारी रहा।

वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिक्रिया

प्रशासन का कहना है कि त्योहार सामूहिकता और अनुशासन को बनाए रखने का माध्यम है, लेकिन पुलिसकर्मियों का तर्क है कि जब तक उनकी मांगों पर सकारात्मक फैसला नहीं लिया जाता, तब तक वे ऐसे आयोजनों में भाग नहीं लेंगे।

अब आगे क्या?

  • पुलिसकर्मियों ने साफ किया है कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो वे भविष्य में अन्य त्योहारों और विभागीय आयोजनों का भी बहिष्कार कर सकते हैं।
  • सरकार और पुलिस प्रशासन पर अब दबाव बढ़ रहा है कि वह इस मुद्दे पर संवेदनशीलता के साथ त्वरित निर्णय ले।

क्या सरकार और प्रशासन पुलिसकर्मियों की मांगों को मानेगा, या यह विरोध और बढ़ेगा? देखना होगा कि इस विवाद का अंजाम क्या होता है!

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