Sanjay kumar
जयपुर/ कोटा, दिनांक: 05.03.2025
मंदिरों की जमीनों पर अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग, पुजारियों को मिले राजकीय संरक्षण – संदीप शर्मा
कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि मंदिर माफी की हजारों बीघा जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जों को तुरंत हटाया जाए और पुजारियों को सुरक्षा प्रदान की जाए। विधायक शर्मा ने इस गंभीर मुद्दे को विधानसभा में उठाया, जिसका समर्थन स्वयं विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी किया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अजमेर सहित कई स्थानों पर भूमाफियाओं ने मंदिरों की जमीन पर कब्जा कर कॉलोनियां विकसित कर दी हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि मंदिर माफी की जमीन बेची नहीं जा सकती। इन मामलों में कई प्राथमिकी (FIR) दर्ज हैं, लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि प्रदेशभर में ऐसे सभी अवैध कब्जों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
विधायक शर्मा ने बजट में मंदिरों की भोग राशि बढ़ाकर ₹3,000 तथा पुजारियों का मानदेय ₹7,500 प्रतिमाह करने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जहां पिछले 70 वर्षों में मंदिरों के हित में कार्य नहीं हुए, वहीं भजनलाल सरकार ने एक वर्ष में ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं।
पुजारियों की खातेदारी बहाल करने की मांग
शर्मा ने बताया कि 1963 के राजपत्र के अनुसार मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों को खातेदारी दी गई थी, लेकिन 1991 में राजस्व विभाग ने एक परिपत्र जारी कर पुजारियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटा दिए, जिससे वे अपनी ही जमीन से वंचित हो गए। उन्होंने कहा कि यह परिपत्र राजस्थान काश्तकारी अधिनियम और जागीर अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है।
हालांकि, सरकार ने 2007, 2010 और 2018 के परिपत्रों में माना कि पुजारियों की खातेदारी गलत तरीके से हटाई गई थी, लेकिन आज तक इसे पुनः बहाल नहीं किया गया है। दूसरी ओर, भूमाफिया अवैध रूप से इन जमीनों पर कब्जा कर अपने नाम खातेदारी खुलवा रहे हैं।
मंदिरों और पुजारियों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता
विधायक शर्मा ने दौसा के महुआ में शंभू पुजारी की हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि मंदिरों की जमीनों पर कब्जे के लिए पुजारियों पर हमले, धमकियां और हत्या जैसी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार पुजारियों को राजकीय संरक्षण प्रदान करे और मंदिर माफी की जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाए।
इसके अलावा, 1991 के राजस्व परिपत्र को तत्काल रद्द कर पुजारियों की खातेदारी पुनः बहाल की जाए, जिससे वे अपनी जमीनों के कानूनी हकदार बन सकें और उन्हें कृषि भूमि से जुड़े सभी लाभ प्राप्त हो सकें।