प्रमुख संवाद
आचार्य प्रज्ञा सागर मुनिराज ने दी क्षुल्लक क्षुल्लिका दीक्षाएं
कोटा, 02 मार्च । वैराग्य और त्याग की अनूठी परंपरा के अंतर्गत आज नैसर्गिक दीक्षा महोत्सव में दीक्षार्थियों ने अपने सांसारिक जीवन का परित्याग कर संयम जीवन की दिशा में कदम बढ़ाया।


मुख्य संयोजक यतीश खेडावाला ने बताया कि पुष्पगिरि तीर्थ प्रणेता 108 पुष्पदंत महाराज के आशीर्वाद एवं तपोभूमि प्रणेता आचार्य श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज की दिव्य प्रेरणा से रविवार को तीन दीक्षार्थियों ने मोक्षमार्ग की ओर पहला आधिकारिक कदम रखा। केशलोच क्रिया द्वारा दीक्षा संस्कार प्रारंभ हुआ और ब्रह्मचारी देवेन्द्र भैया जी (सूरत) को क्षुल्लक दीक्षा ब्रह्मचारिणी मीना दीदी (उज्जैन) और ब्रह्मचारिणी प्रेमलता दीदी (इंदौर) को क्षुल्लिका दीक्षा विधि विधान एवं मंत्रोच्चार से गुरूदेव प्रज्ञा सागर ने दी।कार्याध्यक्ष जे के जैन ने बताया कि विधायक संदीप शर्मा ,भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश जैन,भाजपा नेता पंकज मेहता,कांग्रेस जिलाध्यक्ष रविन्द्र त्यागी,अंकित जैन एवं प्रवीण जैन उपस्थित रहे। गोविंद माहेश्वरी ने इस अवसर पर सतगुरू ने जीना सीखा दिया गीत सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। बिरला सहित सभी अतिथियों ने इस अवसर अल्पसंख्यकों की योजनाओं पोस्टर भी विमाचन किया। सोमवार को गुरूपूजन,आहार चर्या एवं कार्याकर्ता सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा।
बिरला का किया स्वागत
प्रचार सचिव मनोज आदिनाथ ने बताया कि गुरू आस्था परिवार एवं सकल दिगम्बर जैन समाज की ओर से कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष का स्वागत किया गया। गुरूदेव ने बिरला का तिलक निकाला,मुख्य संयोजक यतीश खेडावाला ने उन्हे साफा पहनाया। सकल दि.जैन समाज अध्यक्ष विमल जैन नांता,राजमल पाटोदी, विनोद टोरडी,जे के जैन ,प्रकाश बज,चेतन सर्राफ,लोकेश जैन,नरेश वेद,विजय दुगेरिया,दिनेश जैन,सचिव कासलीवाल,रजनीकांत,राजेश मंगलम सहित कई लोगो ने बिरला को माला पहना कर एवं स्मृति प्रशस्ति पत्र देकर सम्मनित किया।
मुनि दिखाते है जीवन की राह
मुख्यअतिथि लोकसभा अध्यक्ष ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिस धरती पर संत विराजते वह तपोभूमि बन जाती है आचार्य श्री 108 प्रज्ञा सागर महाराज की कृपा से कोटा में आज का दिन दिव्य,अद्भूत व स्मरणीय बन चुका है। संतो के तप व त्याग का लाभ समाज को सदैव प्राप्त होता आया है और मुनियों ने इस संसार को दिशा देने का कार्य किया है। उन्होने कहा कि भगवान महावीर स्वामी की विचार आज भी मनुष्य को जीवन जीने की राह रहा दिखा रहे। जैन दर्शन के सिद्धांत व नियम मनुष्य के पदप्रदशर्क है। आज विश्व को महावीर के संदेशो की आवश्यकता है। जैसे जैन दर्शन एक इंद्रीय जीव पर दया का भाव रखता है यदि संसार इन नियमों को माने तो अहिंसा का मार्ग प्रशस्त होगा और हिंसा व युद्ध की समाप्ति होगी। गलती होने पर जैन समाज मन,वचन व कर्म से क्षमावाणी भी करता है जिससे मनुष्य में क्रोध व अहंकार का त्याग होता है।
देश बने मधुवन
तपोभूमि प्रणेता आचार्य श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज ने अपने पौधारोपण संकल्प को दोहराते हुए कहा कि शीघ्र होली का पर्व आने वाला है जिसमें लकडी जलाकर होली मनाई जाएगी। हमें होली के पहले पौधारोपण का संकल्प लेना है। उन्होने कहा गुरू के उपदेश व राजनीति की ताकत जब एक होती है तो क्रांति होती है यदि यह संभव हुआ भारत फिर सौने की चिडिया बनेगा। गुरूदेव ने लोकसभा अध्यक्ष से भी पौधारोपण मुहिम को सक्रिय करने का आव्हान किया। उन्होने कहा कि पूरे देश में इतना पौधारोपण हो कि देश मधुवन हो जाए। उन्होने भक्तो से कहा कि हम जब विचार बनाएंगे तो दीक्षा ले पायेंगे।
प्रसन्नता से पहुंचे दीक्षा लेने
ब्रह्मचारी देवेन्द्र भैया जी (सूरत), ब्रह्मचारिणी मीना दीदी (उज्जैन) और ब्रह्मचारिणी प्रेमलता दीदी (इंदौर) को क्षुल्लक की दीक्षा प्राप्त करने प्रसन्नता के साथ पहुंचे। उनके पुत्र—पुत्रि जो दीक्षा हेतु उनके माता—पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे थे तथा परिजन व अन्य लोग उन्हे लहंगा व शेरवानी में आभूषण व रत्नों से सजाकर,बारात निकालते हुए,हर्षोउलास के साथ नाचते व गाते हुए गुरूदेव के समक्ष लेकर आए जहां दीक्षार्थीओं ने गुरूदेव को चांदी का श्रीफल भेंट कर उनसे दीक्षा प्राप्त करने का आग्रह किया। गुरूदेव ने विधिवत क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की।
इस प्रकार दी दीक्षा
चौकी पर स्वास्थित बनाकर सफेद कपडा बिछाया गया। जिस पर दीक्षार्थी विराजित हुए। गुरूदेव ने सर्वप्रथम उनका केश लोचन करवाया। विधिवत मंत्रोचारण के बाद दीक्षा की क्रिया प्रारंभ की गई। सिर पर दही का लेप किया गया। गुरूदेव ने 16 लौंग सिर विराजित कर मंत्रोचरण किया। दीक्षार्थीयों के हाथों में श्रीफल व अक्षत दिए और मंत्रोचरण के साथ दीक्षा की विधि आगे बढाई गई। इसके उपरान्त उनके बनाए गए माता—पिता ने उन्हे ग्रहण कर सौभाग्य प्राप्त किया। दीक्षार्थीयों ने अपने वस्त्र त्याग किए और सफेद वस्त्र धारण कर क्षुल्लक दीक्षा प्राप्त की। गुरूदेव ने उन्हे 11 प्रतिमा नियम सौपें।
सभी दीक्षार्थीयों को प्रथम बार पिच्छी व कम्डल गुरूदेव प्रज्ञासागर द्वारा सौपा गया और गुरू परम्परा के अनुसार उन्हे नए नाम सौपे गए। ब्रह्मचारी देवेन्द्र भैया जी (सूरत) को नया नाम क्षुल्लक 105 दिव्यतीर्थ महाराज,ब्रह्मचारिणी मीना दीदी (उज्जैन) को क्षुल्लिका 105 असीम प्रज्ञा माता,ब्रह्मचारिणी प्रेमलता दीदी (इंदौर) को क्षुल्लिका 105 अन्नत प्रज्ञा माता के नाम से सुशोभित किया गया। जैसे ही क्षुल्लक दीक्षा पूर्ण हुई पूरे पाण्डाल में जयगुरूदेव जय जय गुरूदेव की ध्वनि गूंजाएमान हो गई।
यह बने पुण्यार्जक
संयोजक जे.के. जैन ने बताया कि रविवार को गुरूदेव की आरती का सौभाग्य प्राची रूपेन हुमड़,खुशबू अर्पित सर्राफ,मनीषा हेमन्त सेठी इंदौर,पाद प्रछालन रत्न एवं रजत पुष्प द्वारा तथा चित्रअनावरण व दीप प्रज्वलन मनोज—नेहा,आशीष,प्रज्ञम,जैसवाल परिवार,शास्त्रभेंट प्रथमानुयोग अशोक जैन,कुरूणानुयोग राजीव,संजीव सूरत वाले,चरणानुयोग शिखर चंद कासलीवाल जयपुर,द्रव्यानुयोग कमल अजमेरा झालारापाटन,स्वर्ण कलक्ष द्वारा पाद प्रक्षालन महावीर प्रसाद,विकास अजमेरा परिवार,केसर द्वारा मोहन लाल,कैलाश,यतीश खेडा परिवार, जगदीश, त्रिलोक जी जिन्दल परिवार तथा पिच्छी प्रदान करने का सौभाग्य कमला बाई,लोकेश जी सीसवाली परिवार को प्राप्त हुआ।