Sanjay kumar
नई दिल्ली, 21 फरवरी – भारत में डिजिटल भुगतान का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। अब तक मुफ्त रहने वाले यूपीआई लेनदेन पर शुल्क लगाने की शुरुआत हो चुकी है। हाल ही में गूगल पे ने क्रेडिट कार्ड के जरिए बिजली बिल भुगतान पर 15 रुपये का सुविधा शुल्क (Convenience Fee) वसूलना शुरू कर दिया है। यह कदम दर्शाता है कि अन्य डिजिटल भुगतान कंपनियां भी आने वाले समय में इस तरह के शुल्क लागू कर सकती हैं।
यूपीआई आज करोड़ों भारतीयों के लिए भुगतान का मुख्य माध्यम बन चुका है। रोज़ाना लाखों लोग मोबाइल रिचार्ज, बिल भुगतान, ऑनलाइन शॉपिंग, टिकट बुकिंग और अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए यूपीआई का उपयोग करते हैं। अब तक पेटीएम, फोनपे और गूगल पे जैसे बड़े प्लेटफॉर्म अधिकतर यूपीआई ट्रांजैक्शन पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेते थे। लेकिन, डिजिटल लेनदेन में बढ़ती लागत और भुगतान सेवाओं के विस्तार को देखते हुए कंपनियां अब विभिन्न सेवाओं पर शुल्क लगाने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
गूगल पे द्वारा शुरू किए गए इस शुल्क को कंपनी ने “डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन के लिए प्रोसेसिंग फीस” बताया है, जिसमें जीएसटी भी शामिल है। यह पहला संकेत है कि यूपीआई आधारित भुगतान अब पूरी तरह मुफ्त नहीं रहने वाले। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में अन्य कंपनियां भी इस तरह के शुल्क लागू कर सकती हैं, खासकर उन लेनदेन पर जो उच्च राशि के होते हैं या जहां इंटरमीडिएट सेवाएं शामिल होती हैं।
यूपीआई का बढ़ता प्रभाव और शुल्क का संभावित असर
भारत में यूपीआई का अभूतपूर्व विकास जारी है। जनवरी 2024 में यूपीआई ट्रांजैक्शन की कुल संख्या 12.2 बिलियन को पार कर गई, जिससे कुल 18 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। यूपीआई की लोकप्रियता को देखते हुए, डिजिटल भुगतान कंपनियों पर वित्तीय दबाव भी बढ़ा है।
हाल ही में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूपीआई पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PhonePe, Google Pay, Paytm आदि) के लिए बाजार हिस्सेदारी सीमा का अनुपालन करने की समयसीमा दो साल के लिए बढ़ा दी है। इससे डिजिटल पेमेंट कंपनियों को राहत जरूर मिली है, लेकिन सेवा शुल्क का यह नया ट्रेंड आम उपभोक्ताओं के खर्चों को बढ़ा सकता है।
ग्राहकों को कैसे करना चाहिए तैयारी?
अगर यूपीआई लेनदेन पर शुल्क लगाया जाता है, तो ग्राहकों को अपने भुगतान विकल्पों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होगी। अभी कुछ बैंक अपने यूपीआई ग्राहकों को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भुगतान करने की सुविधा देते हैं। ऐसे में उपयोगकर्ताओं को यह देखना होगा कि कौन-सा प्लेटफॉर्म या बैंक उनके लिए सबसे किफायती रहेगा।
क्या भविष्य में सभी यूपीआई ट्रांजैक्शन पर शुल्क लगेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य पीयर-टू-पीयर (P2P) यूपीआई भुगतान फिलहाल मुफ्त रहेगा, लेकिन बड़े बिल भुगतान, क्रेडिट कार्ड से जुड़े ट्रांजैक्शन और व्यापारिक लेनदेन पर शुल्क लग सकता है। इससे यह तय करना जरूरी हो जाएगा कि कौन-से ट्रांजैक्शन यूपीआई से किए जाएं और कौन-से अन्य माध्यमों से।
निष्कर्ष
गूगल पे की इस पहल से यह स्पष्ट हो गया है कि यूपीआई आधारित डिजिटल भुगतान मॉडल धीरे-धीरे बदलेगा। उपयोगकर्ताओं को जागरूक रहने और लेनदेन से पहले शुल्क से संबंधित जानकारी लेने की जरूरत है। जैसे-जैसे डिजिटल अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे भुगतान के तरीकों और उनकी लागतों में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।