संजय कुमार,
कोटा, 16 फरवरी – प्रकृति प्रेम, जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से कोटा हॉर्टिकल्चर सोसाइटी द्वारा आयोजित भव्य फ्लावर शो इस वर्ष भी शहरवासियों के लिए एक अद्भुत और मनमोहक अनुभव रहा। “आई लव नेचर” थीम पर आधारित इस प्रदर्शनी ने बागवानी प्रेमियों और पर्यावरण संरक्षकों के लिए प्रेरणा का केंद्र बनने का कार्य किया। इस तीन दिवसीय फ्लावर शो का आयोजन KST पर हॉट बाजार गार्डन में किया जा रहा है। हालाँकि, इस बार प्रशासन का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से प्रचार-प्रसार सीमित रहा, लेकिन जनता की भागीदारी और उत्साह ने इस आयोजन को फिर भी एक बड़ी सफलता दिलाई।






फ्लावर शो की मुख्य विशेषताएँ:
- प्रदर्शनी में 7500 से अधिक पौधों की दुर्लभ और विदेशी प्रजातियों को शामिल किया गया, जिनमें हिमाचल प्रदेश के रेननक्युलस, सिनेरेरिया, आइस प्लांट, इंपोर्टेड चाइनालेंन्टर, अरेबियन प्लांट एडेनियम्स, बोनसाई, हाइड्रोफोनिक प्लांट्स, आर्नामेंटल और एग्जॉटिक कैक्टस विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।
- प्रयागराज कुंभ की झांकी को पूरी तरह से फ्लावर प्लांट्स से सजाया गया, जिससे प्रदर्शनी को एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप मिला।
- विशेष सेल्फी प्वाइंट्स बनाए गए, जो युवा वर्ग और परिवारों के आकर्षण का केंद्र रहे।
बागवानी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की पहल
कोटा हॉर्टिकल्चर सोसाइटी के अध्यक्ष सलीम खान ने बताया कि अब तक लगभग 1 लाख लोग इस प्रदर्शनी का आनंद उठा चुके हैं। कोटा हॉर्टिकल्चर सोसाइटी न केवल एक बागवानी प्रेमी समुदाय का निर्माण कर रही है, बल्कि प्राकृतिक और स्थायी बागवानी को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण को भी सशक्त कर रही है। सोसाइटी द्वारा विभिन्न कार्यशालाएँ, सेमिनार, वर्कशॉप और गार्डनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं, जिससे बागवानी प्रेमियों को मूल्यवान जानकारी और तकनीकी ज्ञान प्राप्त हो सके। इसके अलावा, स्थानीय संस्थानों, नागरिकों और सदस्यों के सहयोग से नगरीय वन संस्कृति के विकास को भी बढ़ावा दिया जाता है।


बोनसाई: कला, प्रकृति और धैर्य का संगम
प्रदर्शनी में बोनसाई प्लांट विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। प्रसिद्ध बागवानी विशेषज्ञ निवेदिता पारीक के अनुसार, “बोनसाई केवल एक पौधा नहीं, बल्कि एक जीवंत कला है, जो प्रकृति को लघु रूप में प्रस्तुत करती है।”




बोनसाई शब्द जापानी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है “पेड़ को छोटे बर्तन में उगाना”। यह तकनीक पेड़ों को छोटे आकार में विकसित करने की एक पारंपरिक कला है, जिसमें पेड़ों को उचित रूप से काट-छाँटकर और देखभाल करके नियंत्रित आकार और संरचना दी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक सौंदर्य को छोटे स्वरूप में प्रस्तुत करना और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।


इस प्रदर्शनी में फ़ाइकस, जूनिपर, पीपल, बोधि और जेड प्लांट जैसे लोकप्रिय बोनसाई पौधों को प्रदर्शित किया गया। इसमें कई बोनसाई प्लांट की आयु 35 से 40 वर्ष की है। निवेदिता पारीक का मानना है कि बोनसाई न केवल घर और कार्यालयों की सुंदरता बढ़ाने का काम करता है, बल्कि यह तनाव कम करने और धैर्य विकसित करने में भी सहायक होता है। सही देखभाल और तकनीक से कोई भी व्यक्ति बोनसाई कला को अपना सकता है और प्रकृति के इस अद्भुत स्वरूप का आनंद ले सकता है।
प्रशासन की उदासीनता और जनता की भागीदारी
इस बार प्रशासन ने महज़ आयोजन स्थल उपलब्ध कराने तक ही अपनी भूमिका सीमित रखी, जबकि पूर्व वर्षों में प्रशासन द्वारा इसे हर वर्ष भव्य रूप से आयोजित किया जाता था और व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाता था। प्रशासन की इस बेरुखी के कारण कोटा के कई नागरिकों को इस अनूठी प्रदर्शनी की जानकारी तक नहीं मिल पाई।
हालांकि, इसके बावजूद रेलवे, नगर निगम, विभिन्न विद्यालयों और अन्य संस्थानों ने इसमें भाग लेकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाया और प्रदर्शनी को समर्थन दिया।
कोटा हॉर्टिकल्चर सोसाइटी द्वारा आयोजित यह फ्लावर शो न केवल एक प्रदर्शनी थी, बल्कि यह प्रकृति के प्रति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का एक सफल प्रयास भी रहा। प्रशासन के सीमित सहयोग के बावजूद जनता का भरपूर समर्थन और उत्साह इस बात का प्रमाण है कि हरियाली और प्रकृति से लगाव किसी बाधा का मोहताज नहीं होता।
“हरियाली बढ़ाएं, पर्यावरण बचाएं – यही हमारा संदेश है!”