Sanjay kumar
मुंबई, 7 फरवरी 2025:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। करीब 5 वर्षों के बाद, रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत (25 बेसिस पॉइंट्स) की कटौती की गई है। इस फैसले के बाद रेपो रेट अब 6.50% से घटकर 6.25% पर आ गया है। इस कटौती से होम लोन, ऑटो लोन और अन्य प्रकार के ऋणों पर ब्याज दरें कम होंगी, जिससे करोड़ों लोगों की ईएमआई में राहत मिलेगी।
आर्थिक स्थिरता के लिए उठाया गया कदम:
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा, जिनकी यह पहली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग थी, ने इस बदलाव की घोषणा की। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा,
“यह निर्णय मौद्रिक नीति को संतुलित बनाए रखने और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया गया है। हमारा प्रयास है कि किफायती ऋण दरों के माध्यम से देश की आर्थिक वृद्धि को गति दी जाए।”
पिछली बार 2023 में हुआ था बदलाव:
गौरतलब है कि जून 2023 में रेपो रेट को 6.5% तक बढ़ाया गया था और तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था। इससे पहले मई 2020 में कोविड-19 के दौरान आरबीआई ने आर्थिक मंदी से निपटने के लिए 0.40% (40 बेसिस पॉइंट्स) की कटौती की थी।
RBI के नए गवर्नर की पहली बड़ी घोषणा:
संजय मल्होत्रा, जिन्होंने 11 दिसंबर 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में पदभार संभाला था, के नेतृत्व में यह पहली नीति बैठक थी। पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास के इस्तीफे के बाद उनकी नियुक्ति की गई थी।
लोन धारकों को राहत:
इस निर्णय से उम्मीद है कि बैंक अपनी ब्याज दरों में कटौती करेंगे, जिससे घर, गाड़ी, शिक्षा और पर्सनल लोन पर ईएमआई घटेगी। यह कदम खासतौर पर मध्यम वर्ग और व्यवसायिक समुदाय के लिए राहत लेकर आया है।
अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव:
- लोन सस्ते होने से खर्च और निवेश में वृद्धि होगी।
- रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को मिलेगा फायदा।
- महंगाई दर को नियंत्रित रखते हुए आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
रेपो रेट में यह कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो देश के विकास और आम जनता के वित्तीय बोझ को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।