महाकुंभ 2025: मौनी अमावस्या पर शाही स्नान, आस्था का महासंगम

Sanjay kumar, 29 Jan.

प्रयागराज। महाकुंभ 2025 का सबसे पावन और महत्वपूर्ण दिन— मौनी अमावस्या— 29 जनवरी को श्रद्धा और भक्ति के अनूठे संगम का साक्षी बना। इस दिन करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित किया। देश-विदेश से आए संन्यासी, नागा साधु, अखाड़ों के महंत और आम श्रद्धालु इस अद्वितीय आध्यात्मिक उत्सव में शामिल हुए।

शाही स्नान का दिव्य नज़ारा

मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर भोर से ही श्रद्धालुओं का सैलाब संगम तट की ओर उमड़ पड़ा। पहले नागा संन्यासियों और अखाड़ों के प्रमुख संतों ने शाही स्नान किया, जिसके बाद आम श्रद्धालुओं को संगम में स्नान की अनुमति दी गई। परंपरागत रूप से शाही स्नान की अगुवाई जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा सहित प्रमुख अखाड़ों के संतों ने की।

धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर गंगा आरती, मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से संपन्न किए गए।

भारी भीड़, प्रशासन सतर्क

शाही स्नान के दौरान करीब 5 करोड़ श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़े, जिससे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के हजारों जवानों को सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था। इसके साथ ही ड्रोन कैमरों और सीसीटीवी कैमरों की मदद से भीड़ पर कड़ी नजर रखी गई।

संगम तट पर लगभग 50 घाटों को स्नान के लिए तैयार किया गया था, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि, कुछ जगहों पर भीड़ बढ़ने से अव्यवस्था की स्थिति बनी, लेकिन प्रशासन ने तत्काल व्यवस्था संभाल ली।

भव्य संत सम्मेलन और आध्यात्मिक प्रवचन

महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अवसर पर संतों और धर्मगुरुओं के प्रवचन भी आयोजित किए गए, जिसमें श्रद्धालुओं को धर्म, योग, और अध्यात्म का संदेश दिया गया। देशभर के विभिन्न मठों और अखाड़ों के महामंडलेश्वर एवं साधु-संतों ने अपने विचार रखे।

श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं

महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं के लिए विशेष टेंट सिटी, अस्थायी अस्पताल, मोबाइल शौचालय, जल आपूर्ति और भोजन व्यवस्था की गई थी। इस दौरान रेलवे और परिवहन विभाग ने अतिरिक्त बसों और ट्रेनों की व्यवस्था भी की, जिससे देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए महाकुंभ को भारतीय संस्कृति का अद्भुत उदाहरण बताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं प्रयागराज पहुंचे और सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

मौनी अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व

मौनी अमावस्या का संबंध ‘मौन’ धारण करने और आत्मचिंतन से भी है। इस दिन अनेक साधक और श्रद्धालु मौन व्रत रखते हैं और ध्यान-योग का अभ्यास करते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं और जीवन में शुभता आती है।

अगला शाही स्नान कब?

महाकुंभ 2025 का अगला प्रमुख शाही स्नान 14 फरवरी (बसंत पंचमी) को होगा, जिसमें एक बार फिर करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे।


महाकुंभ 2025 का यह दिव्य आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अध्यात्म और आस्था का सबसे बड़ा केंद्र भी बना हुआ है।

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