गणतंत्र दिवस पर विशेष: मासिक काव्य गोष्ठी में गूंजी देशभक्ति की कविताएं

प्रमुख संवाद
श्री हिंदी साहित्य समिति द्वारा गणतंत्र दिवस पर विशेष काव्य गोष्ठी का आयोजन

कोटा, 25 जनवरी। श्री हिंदी साहित्य समिति कोटा एवं बेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के संयुक्त तत्वावधान में गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस साहित्यिक कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान सरकार के पाठ्य पुस्तक मंडल के न्यासी श्री अरविंद सिसोदिया एवं समिति के अध्यक्ष डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी ने की। कार्यक्रम में प्रख्यात कवि श्री किशन लाल वर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि भगवत सिंह मयंक, नंदकिशोर मीणा और जमील कुरैशी विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन हुए।

गोष्ठी का संचालन बाल साहित्यकार महेश पंचोली ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और भगवत सिंह मयंक द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ हुई। इस अवसर पर कई प्रख्यात कवियों और साहित्यकारों ने देशभक्ति से ओतप्रोत अपनी कविताओं का वाचन किया, जिसमें उपस्थित श्रोतागण भावविभोर हो गए।

गोष्ठी में भाग लेने वाले प्रमुख कवियों में डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी, अरविंद सिसोदिया, जमील कुरैशी, महेश पंचोली, कालीचरण राजपूत, सुरेंद्र सिंह गौड़, दीनानाथ त्रिपाठी, बालूलाल वर्मा, नरेंद्र शर्मा, रमाकांत शर्मा, सीमा तबस्सुम, हलीम आईना, चौथमल प्रजापति, रतनलाल वर्मा, देशबंधु पांडे, रामकरण प्रभाती, सलीम स्वतंत्र और दीनबंधु परालिया सहित अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं से राष्ट्रभक्ति का माहौल तैयार किया।

डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी ने अपनी रचना प्रस्तुत की:
“छीना तुझसे देश बंगला खाक क्या कश्मीर लेगा।
ढाई घर तू चल रहा है, एक प्यादा मात देगा।”

महेश पंचोली ने देश के शहीदों को समर्पित अपनी कविता से सभी को भावविभोर कर दिया:
“शहीदों को नमन करना ही हम सब का फर्ज है,
चुका न पाएंगे कभी, हम पर इतना कर्ज है।”

अरविंद सिसोदिया ने अखंड भारत का संदेश देते हुए कहा:
“करुण कहानी विभाजन की वीरों तुम्हें पुकारती,
जाग उठो, अब जाग उठो, बनाएं अखंड भारती।”

हलीम आईना ने अपनी कविता में देश की आन, बान और शान का चित्रण किया:
“यह धरती आन बान और शान की है,
वफा की, त्याग की, बलिदान की है।”

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रभक्ति के जज्बे से सराबोर माहौल में हुआ। श्री हिंदी साहित्य समिति ने इस आयोजन को सभी कवियों और श्रोताओं के लिए प्रेरणादायक बताया।

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