ज्ञान, कौशल और जिम्मेदारी का संगम: वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय का 17वां दीक्षांत समारोह संपन्न

संजय कुमार

कोटा, 24 जनवरी।
वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह का आयोजन शुक्रवार को प्रेरणादायक माहौल में हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए ज्ञान को केवल व्यक्तिगत सफलता का माध्यम न मानकर समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए समर्पित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

समारोह में कुल 60,505 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं। साथ ही, उपाधियों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया का भी शुभारंभ किया गया, जिससे विद्यार्थियों के लिए यह प्रक्रिया अधिक सुगम हो जाएगी।

राज्यपाल का संदेश:
कुलाधिपति बागडे ने अपने संबोधन में कहा, “दीक्षांत केवल डिग्री प्राप्त करने का अवसर नहीं, बल्कि जीवन के नए अध्याय की शुरुआत है। अर्जित ज्ञान का विवेकशीलता और नैतिकता के साथ उपयोग करें। हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा हमें प्रेरणा देती है कि हम समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।” उन्होंने आगे कहा, “ऐसा कर्म करें जो आपकी पहचान बने और ऐसा जीवन जिएं जिससे आपके कर्तव्य पथ पर कोई बाधा न आए।”

विशिष्ट अतिथियों का संदेश:
समारोह के दीक्षांत अतिथि, गुरूनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के कुलपति प्रो. करमजीत सिंह ने विद्यार्थियों को अर्जित ज्ञान और कौशल के साथ समाज को अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास और समर्पण आवश्यक है।”

कुलपति का प्रतिवेदन:
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने इस अवसर पर संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों से स्वदेशी चिंतन और उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा, “समय का सही उपयोग कर नवाचारों के जरिए विद्यार्थियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।”

नई शिक्षा नीति का महत्व:
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति की सराहना करते हुए इसे देश के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि यह नीति केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने का माध्यम बनेगी।

समारोह की उपलब्धियां:
इस दीक्षांत समारोह में जून 2022, दिसंबर 2022, और जून 2023 की परीक्षाओं में उत्तीर्ण 60,505 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। समारोह का समापन कुलसचिव सरिता द्वारा आभार व्यक्त करने के साथ हुआ।

यह दीक्षांत समारोह ज्ञान, जिम्मेदारी और नवाचार की प्रेरणा का प्रतीक बना और विद्यार्थियों को समाज व राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया।

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