Sanjay kumar, 23 Jan.
STF के ऑपरेशन से देशभर में हड़कंप, टोल प्लाजा पर फर्जी सॉफ्टवेयर के जरिए हजारों करोड़ की हेराफेरी का पर्दाफाश
मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने नकली सॉफ्टवेयर के माध्यम से टोल प्लाजा पर बड़े पैमाने पर की जा रही अवैध वसूली का खुलासा किया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि देश के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर फर्जी सॉफ्टवेयर इंस्टाल कर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई। इस मामले में मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा से प्रतिदिन 45,000 रुपये की चोरी की पुष्टि हुई है।
मुख्य बिंदु:
- 2021 से अब तक के रिकॉर्ड की जांच होगी:
STF ने बताया कि टोल प्लाजा से जुड़े सभी रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे और आरोपियों से पूछताछ कर अन्य जानकारी जुटाई जाएगी। - नकली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल:
आरोपियों ने टोल प्लाजा पर समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टाल कर फास्ट टैग रहित वाहनों से दोगुना टोल वसूल कर राजस्व में हेराफेरी की। इन फर्जी ट्रांजेक्शन्स की जानकारी सॉफ्टवेयर के जरिए निजी लैपटॉप में संग्रहित की जाती थी। - गिरफ्तारी और जब्त सामग्री:
STF ने मुख्य आरोपी आलोक सिंह और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार कर दो लैपटॉप, एक प्रिंटर, पांच मोबाइल फोन, एक वाहन, और 19,580 रुपये नकद बरामद किए हैं। - देशव्यापी घोटाले की आशंका:
आरोपी आलोक सिंह ने बताया कि यह गबन केवल मिर्जापुर तक सीमित नहीं, बल्कि देशभर के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर इस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है।
STF की कार्रवाई और आगे की योजना:
STF के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि मामले में शामिल अन्य लोगों को भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। साथ ही सभी टोल प्लाजा पर लगाए गए सॉफ्टवेयर की एनएचएआई द्वारा जांच कराई जाएगी। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, चोरी की गई धनराशि का वितरण टोल प्लाजा मालिक, आईटी कर्मियों, और अन्य प्रबंधकों के बीच किया गया।
राष्ट्रीय राजस्व को बड़ा नुकसान:
इस घोटाले से सरकारी राजस्व को बड़ी क्षति पहुंचाई गई है। नियमों के अनुसार, फास्ट टैग रहित वाहनों से वसूले गए टोल का 50% एनएचएआई के खाते में जमा होना चाहिए, लेकिन सॉफ्टवेयर के माध्यम से इन फंड्स का गबन किया गया।
आगे की कार्रवाई:
STF ने स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई को इस मामले में सतर्क रहने और टोल प्लाजा पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, इस तरह के घोटाले रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही है।
यह घोटाला केवल राजस्व हानि तक सीमित नहीं, बल्कि सिस्टम की खामियों को भी उजागर करता है। STF का ऑपरेशन इस बात का उदाहरण है कि संगठित अपराध को खत्म करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता और त्वरित कार्रवाई की कितनी आवश्यकता है।