गांव बंद आंदोलन: गांव के आत्मनिर्भरता की ओर एक क्रांतिकारी कदम

प्रमुख संवाद

कोटा, 17 जनवरी।

राजस्थान के 45,537 गांवों को जोड़ते हुए आगामी “गांव बंद आंदोलन” की घोषणा की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य गांव के व्यक्ति और उत्पादन को गांव में ही आत्मनिर्भर बनाना है। यह आंदोलन किसानों के लिए कमाई और लड़ाई को साथ-साथ जारी रखने का एक अभिनव मॉडल प्रस्तुत करेगा।

आंदोलन के उद्देश्य और रूपरेखा

  1. गांव के लिए, गांव से:
    • गांव का व्यक्ति गांव में रहेगा।
    • गांव का उत्पादन गांव में ही बिकेगा।
    • गांव में ही शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध रहेंगे।
  2. यातायात का नियंत्रण:
    • आपातकालीन स्थितियों को छोड़कर बस, जीप, रेल, और अन्य यातायात साधनों का उपयोग नहीं होगा।
    • खरीदने वालों को गांव में आकर उत्पाद लेने की सुविधा दी जाएगी।
  3. किसानों के अधिकार:
    • किसान अपने उत्पाद का मूल्य स्वयं निर्धारित कर सकेंगे।
    • खाद्य वस्तुओं में मिलावट के खतरे से बचाव होगा।
  4. आह्वान:
    • आंदोलन सत्य, शांति, और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित होगा।
    • आपसी प्रेम और सद्भाव के माध्यम से जनसमर्थन प्राप्त किया जाएगा।

मुख्य उद्देश्य

  • “खेत को पानी, फसल को दाम”
    • सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की गारंटी कानून बनाने की मांग।
    • खराबे की क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करना।

जनजागरण अभियान की रूपरेखा

पहला चरण:
भीलवाड़ा, चितौड़गढ़, राजसमंद, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, पाली, ब्यावर, जयपुर, अलवर, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड़, दौसा।

दूसरा चरण:
टोंक, बारां, झालावाड़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर, डीग, सीकर, झुंझुनू, चूरू, हनुमानगढ़, गंगानगर, अनूपगढ़, बीकानेर, नागौर, डीडवाना।

तीसरा चरण:
धौलपुर, बालोतरा, सलूम्बर।

नेतृत्व और सहयोग

इस अभियान में किसान महापंचायत के युवा प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी और प्रदेश मंत्री बत्ती लाल बैरवा एवं मनजिन्दर सिंह अटवाल सक्रिय रूप से शामिल हैं। कोटा में आयोजित प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय किसान संघ के राष्ट्रीय मंत्री जगदीश शर्मा ने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया।

समाप्ति संदेश

गांव बंद आंदोलन राजस्थान के किसानों को आत्मनिर्भरता की नई राह पर ले जाने का एक ऐतिहासिक प्रयास है। यह आंदोलन न केवल किसानों के हक की लड़ाई को नई दिशा देगा, बल्कि सामाजिक सद्भाव और गांवों के विकास का नया अध्याय भी लिखेगा।

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