संजय कुमार
हाड़ौती कोचिंग समिति ने सरकार के समक्ष लघु शिक्षण संस्थानों के लिए 5 सूत्रीय मांग पत्र रखा
कोटा, 10 जनवरी।
हाड़ौती संभाग कोचिंग समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में पूरक शिक्षा प्रदान कर रहे छोटे कोचिंग संस्थानों को विशेष सहायता और नीतिगत संबल प्रदान किया जाए। समिति के संभागीय अध्यक्ष बुद्धिप्रकाश शर्मा और जिला अध्यक्ष सोनिया राठौड़ ने बताया कि ये लघु संस्थान उन बस्तियों में न्यूनतम शुल्क पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नैतिक संस्कार प्रदान कर रहे हैं, जहां सरकारी प्रयास अपर्याप्त हैं और शिक्षा का स्तर काफी कम है।
इन संस्थानों के लिए कमजोर आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चुनौतीपूर्ण है। कई बार अभिभावक न्यूनतम शुल्क देने में भी असमर्थ होते हैं। ऐसे में, सरकार को आगामी बजट में इन संस्थानों के लिए विशेष सहायता नीति बनानी चाहिए।
समिति की प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं:
- लघु शिक्षण संस्थानों के लिए विशेष मापदंड:
समिति के महामंत्री धनेश विजयवर्गीय और वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओमप्रकाश मेहता ने कहा कि 100 से कम विद्यार्थियों वाले छोटे संस्थानों पर बड़े शिक्षण संस्थानों के मापदंड लागू करना कठिन है। इनके लिए अलग नीति बनाई जाए और अनावश्यक प्रशासनिक दबाव कम किया जाए। - सामुदायिक भवन की सुविधा:
लघु शिक्षण संस्थानों को शहर के सामुदायिक भवनों में शैक्षणिक कार्यक्रम और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए निशुल्क या न्यूनतम शुल्क पर सुविधा दी जाए। - जीएसटी से छूट:
संभागीय संरक्षक राकेश मिश्रा और जिला संरक्षक आरके जांगिड़ ने कहा कि लघु शिक्षण संस्थानों को जीएसटी से मुक्त किया जाना चाहिए। साथ ही, इन्हें एमएसएमई के लाभों में शामिल किया जाए। - संस्थानों की सुरक्षा:
जिला उपाध्यक्ष अनिकेत प्रजापति ने बताया कि छोटे शिक्षण संस्थानों को असामाजिक तत्वों से सुरक्षा दी जाए और किसी भी विवाद की स्थिति में पुलिस निष्पक्षता से कार्रवाई करे। - बोर्ड परीक्षाओं और व्यवसायिक पाठ्यक्रम की पुनर्स्थापना:
जिला संगठन मंत्री वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि आठवीं, दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षाएं पुनः शुरू की जाएं। साथ ही, आठवीं से ही व्यवसायिक पाठ्यक्रम लागू किए जाएं, ताकि विद्यार्थी स्वावलंबी बनकर स्वरोजगार की ओर बढ़ सकें।
हाड़ौती कोचिंग समिति ने अपील की है कि सरकार इन मांगों पर विचार कर लघु शिक्षण संस्थानों को आर्थिक और नीतिगत सहयोग प्रदान करे, ताकि यह क्षेत्र शिक्षा और समाज के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।