प्रमुख संवाद
कोटा 06 जनवरी 2025
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) चित्तौड़ प्रांत का 60वां प्रांतीय अधिवेशन 27 से 29 दिसंबर तक उदयपुर में आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक अधिवेशन ने शिक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, और राजस्थान के सामाजिक परिदृश्य जैसे प्रमुख मुद्दों पर गंभीर विमर्श किया। इस अधिवेशन में 172,084 नए सदस्यों के साथ संगठन ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
प्रमुख आकर्षण:
वीर बाला काली बाई मंडप प्रदर्शनी: 26 दिसंबर को इस प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रो. (कर्नल) एस.एस. सारंगदेवोत और पद्मश्री डॉ. श्याम सुंदर पालीवाल द्वारा किया गया। प्रदर्शनी में उदयपुर के गौरवशाली इतिहास, जनजातीय आंदोलन की गाथा, पर्यावरण संरक्षण, और अभाविप के ऐतिहासिक योगदान को दर्शाया गया।
अध्यक्षीय बदलाव: अधिवेशन में सत्र 2024-25 के लिए डॉ. घनश्याम शर्मा को प्रांत अध्यक्ष और श्री जितेंद्र लोधा को प्रांत मंत्री के रूप में चुना गया।
उद्घाटन समारोह: उदयपुर के पूर्व राजपरिवार सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने उद्घाटन किया और युवाओं को राष्ट्र निर्माण में समर्पित रहने की प्रेरणा दी।
प्रमुख प्रस्ताव:
- उच्च शिक्षा का उन्नयन:
राजस्थान में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, शिक्षण संस्थानों में रिक्त पदों की पूर्ति, और शिक्षा में व्यापारीकरण पर रोक लगाने की मांग उठाई गई। - राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन:
राजस्थान में नई शिक्षा नीति को शीघ्र लागू करने, मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था, और शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा के समावेश की मांग। - राजस्थान का सामाजिक परिदृश्य:
राज्य में बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न, मतांतरण, और नशे की बढ़ती समस्याओं को लेकर सरकार और समाज से मिलकर समाधान की अपील की गई।
महत्वपूर्ण घोषणाएँ:
“परिसर चलो अभियान” और “आनंदमय सार्थक छात्र जीवन” जैसे अभियानों के माध्यम से युवाओं को शैक्षिक परिसरों से जोड़े रखने का संकल्प।
जनजातीय क्षेत्रों में स्कूटी मेधावी योजना की लंबित छात्राओं को शीघ्र लाभान्वित करने की मांग।
युवाओं को स्वावलंबन और रोजगार सृजन के लिए प्रभावी कदम उठाने का आह्वान।
अभाविप के प्रांत मंत्री जितेंद्र लोधा ने कहा:
“यह अधिवेशन मेवाड़ की गौरवशाली विरासत को याद दिलाते हुए संगठन के विचारों और संस्कारों को मजबूती देने वाला सिद्ध होगा। अभाविप देशभर में संगठित और चरित्रवान विद्यार्थियों के निर्माण हेतु समर्पित है।”
अभाविप चित्तौड़ प्रांत का यह अधिवेशन न केवल संगठन के लिए, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी प्रेरणास्रोत साबित हुआ।