“सावित्रीबाई फुले जयंती: समाज सुधार, शिक्षा और समानता के पथ पर भव्य आयोजन”

प्रमुख संवाद

कोटा: 04 जनवरी।
सैनी समाज कर्मचारी-अधिकारी विकास संस्था राजस्थान की कोटा शाखा के तत्वावधान में देश की प्रथम महिला शिक्षिका और समाज सुधारिका सावित्रीबाई फुले की जयंती को भव्य रूप से केडीए ऑडिटोरियम में मनाया गया। इस अवसर पर समाज की प्रतिभाओं, नवनियुक्त कर्मचारियों/अधिकारियों, और कलाकारों को सम्मानित किया गया। साथ ही रूढ़िवादी परंपराओं को त्यागते हुए बालिका शिक्षा पर जोर देने का संकल्प लिया गया।

मुख्य अतिथि ओम बिरला (लोकसभा अध्यक्ष):
“सावित्रीबाई फुले का जीवन त्याग, समर्पण और संघर्ष की मिसाल है। उन्होंने समाज की कुरीतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज माली समाज राजनीति और प्रशासनिक सेवाओं में भी अग्रणी है। ऐसे आयोजनों से समाज को प्रेरणा और दिशा मिलती है।”

अध्यक्षीय उद्बोधन (कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत):
“सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा और समानता के माध्यम से समाज को नई दिशा दी। हमें उनके आदर्शों का पालन करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी बच्चा शिक्षा और स्वास्थ्य से वंचित न रहे। यह मेरी और हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”

प्रेरणा स्रोत:
जिला अध्यक्ष भरत राम सैनी ने कहा, “सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के अधिकारों, समानता, और जातीय भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उनका जीवन और कार्य हर वर्ग के लिए प्रेरणादायक है।”

सांस्कृतिक प्रस्तुतियां:
आयोजन के दौरान बाबूलाल कच्ची ने घोड़ी नृत्य, दिवीशा, पूर्वी सैनी और तविष्का ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से सभी का मन मोहा।

विशेष सम्मान:
समारोह में समाजसेवी ईश्वर लाल सैनी ने योग और ध्यान के महत्व को रेखांकित किया। बारां जिला अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर माली ने सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले के कार्यों को त्रेता युग के राम-सीता के संघर्ष से तुलना करते हुए उनके योगदान को याद किया।

गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति:
इस आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत के अलावा कई राजनेता, समाजसेवी, और गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे। मंच संचालन राघव पावर ने किया।

सावित्रीबाई फुले का परिचय:
सावित्रीबाई फुले (3 जनवरी 1831-10 मार्च 1897) भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारिका थीं। उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए बाल-विवाह, छुआछूत और जातीय भेदभाव जैसी कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया। उनके द्वारा स्थापित विद्यालय आज भी उनकी विरासत को संजोए हुए हैं।

आयोजन का उद्देश्य सावित्रीबाई फुले के विचारों और योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। उनका जीवन हर व्यक्ति को समाज में शिक्षा, समानता और सशक्तिकरण के लिए प्रेरित करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!