राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में लैंगिक उत्पीड़न निवारण कार्यशाला आयोजित

प्रमुख संवाद

कोटा, 04 जनवरी, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा के महिला उत्पीड़न समिति द्वारा महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण तथा निवारण पर विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं एवं कार्यरत स्टाफ़ व शिक्षकों के लिए एक विशेष जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। सह जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बाताया कि कार्यशाला में कार्यस्थल पर महिलाओं के सामने आने वाले उत्पीड़न तथा इससे निपटने के तरीकों के बारे में गहन चर्चा की गई। मुख्य वक्ता प्रोफेसर अरुण कुमार शर्मा एवं अधिवक्ता कल्पना शर्मा ने महिलाओं की कार्य स्थल पर सुरक्षा से संबंधित कानूनी जानकारियों से अवगत करवाया।

इस अवसर पर कार्यक्रम का संयोजक प्रोफेसर मनीषा व्यास, डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. लता गिडवानी एवं डॉ. सुनीता चाहर उपस्थित थी। कुलपति प्रोफ़ेसर एस के सिंह ने अपने संदेश में कहा कि यौन उत्पीड़न और इन से जुड़े मुद्दों के निवारण में शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित महसूस करने पर जोर दिया, क्योंकि यह स्वस्थ समाज का प्रमुख संकेतक है, ताकि महिलाओं के सम्मान बुनियादी मानवाधिकारों, कुशलता, सुरक्षा और समग्र सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जा सकें।

डीन फैकल्टी अफेयर्स प्रोफेसर दिनेश बिड़ला ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं को सम्मान, गरिमा और अधिकार के साथ समाज में रहने, किसी व्यवसाय, व्यापार या कार्य को करने की स्वतंत्रता है, सुरक्षित कार्य वातावरण का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। महिला उत्पीड़न समिति की अध्यक्ष प्रो. मनीषा व्यास ने कहा कि हम सभी का दायित्व है कि महिलाओं को कार्यस्थल पर पूरी तरह सुरक्षित वातावरण उपलब्ध हो। जिससे वे कार्यस्थल पर सहज अनुभव करें।

कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष अधिनियम महिलाओं को समानता के मौलिक अधिकारों की पुष्टि करता है। कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के कारणों को समझना कार्यस्थल पर उसे रोकने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ महिला प्रगति नहीं कर रही है।

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