लखनऊ: इंडियन ओवरसीज बैंक में 42 लॉकर तोड़कर करोड़ों की सेंधमारी, “बैंक प्रशासन की लापरवाही या सुनियोजित साजिश?”

Sanjay kumar, 23 Dec.

“बिना गार्ड और अलार्म के बैंक कैसे सुरक्षित? लखनऊ की बड़ी चोरी ने किया खुलासा”

लखनऊ : लखनऊ के चिनहट इलाके में स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में हुई एक बड़ी चोरी ने सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। चोरों ने बैंक के 42 लॉकर तोड़कर करोड़ों की संपत्ति पर हाथ साफ कर दिया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बैंक में सुरक्षा के नाम पर न कोई गार्ड तैनात था, न ही अलार्म सिस्टम ने काम किया।

कैसे दिया वारदात को अंजाम

चोरों ने शनिवार की रात इस वारदात को अंजाम दिया। बैंक में सेंध लगाने के लिए उन्होंने खाली प्लॉट की तरफ से रास्ता बनाया। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि वारदात से पहले चोरों ने बैंक की पूरी रेकी की थी। उन्हें सीसीटीवी कैमरों की पोजिशन, गार्ड की अनुपस्थिति और स्ट्रॉन्ग रूम की सटीक जानकारी थी।

चोर दो बाइकों पर सवार होकर बैंक के पास पहुंचे और करीब 200 मीटर पहले ही गाड़ियां खड़ी कर दीं। इसके बाद पैदल ही बैंक की ओर बढ़े। अंदर घुसने के बाद उन्होंने सबसे पहले अलार्म सिस्टम के तार काट दिए। विशेषज्ञों का कहना है कि अलार्म सिस्टम में छेड़छाड़ होने पर भी उसे एक्टिव हो जाना चाहिए था।

सुरक्षा की कमी बनी अपराधियों के लिए वरदान

बैंक के बाहर दो और अंदर चार सीसीटीवी कैमरे लगे थे, लेकिन इनमें से केवल एक कैमरे में चोरों की हल्की-फुल्की गतिविधियां कैद हुईं। बाकी कैमरों का एंगल स्ट्रॉन्ग रूम की तरफ नहीं था, जिसका चोरों ने फायदा उठाया। सवाल उठता है कि बैंक प्रशासन ने सुरक्षा के इतने महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी क्यों की।

चोरी में शातिर गैंग का हाथ

पुलिस का कहना है कि वारदात को अंजाम देने वाले चोर बेहद शातिर थे। उनके काम करने के तरीके से पता चलता है कि यह किसी संगठित गैंग का काम है। पुलिस को शक है कि पंजाब या झारखंड से सक्रिय गैंग ने इस चोरी को अंजाम दिया हो सकता है।

क्या कहती है पुलिस?

एडीसीपी पूर्वी पंकज सिंह ने बताया कि चोरी के दौरान बैंक में लगे अलार्म सिस्टम का तार काट दिया गया था। यह भी संभावना है कि अलार्म पहले से ही खराब हो। पुलिस को घटनास्थल और आसपास के 50 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज मिले हैं, जिनकी मदद से अपराधियों की पहचान की कोशिश की जा रही है।

बैंक प्रशासन पर उठे सवाल

इस वारदात ने बैंक प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। बिना गार्ड के बैंक चलाना और अलार्म जैसी सुरक्षा प्रणाली का फेल होना किसी बड़ी लापरवाही से कम नहीं। सवाल यह भी है कि क्या बैंक प्रशासन को पहले से इस तरह के किसी खतरे की आशंका नहीं थी?

नतीजा क्या हो सकता है?

बैंक के लॉकर धारकों के करोड़ों रुपये की संपत्ति खतरे में पड़ गई है। कई ग्राहकों ने बैंक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की तैयारी शुरू कर दी है। इस वारदात ने बैंकिंग सेक्टर की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह घटना न केवल बैंक की सुरक्षा प्रणाली पर बल्कि पूरे बैंकिंग सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है। जांच की रफ्तार और प्रशासन का रवैया तय करेगा कि पीड़ितों को न्याय मिलेगा या नहीं।

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