सुखबीर सिंह बादल पर हमला नाकाम: पुलिस की सतर्कता और सहयोगियों की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

प्रमुख संवाद, 4 दिसम्बर।

अमृतसर: पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर आज सुबह एक जानलेवा हमला हुआ, जिसे उनकी सुरक्षा टीम और पुलिस की सतर्कता ने नाकाम कर दिया। हमलावर की पहचान नारायण सिंह चौड़ा के रूप में हुई है, जिसे मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। सुखबीर सिंह बादल इस हमले में बाल-बाल बच गए।घटना उस समय हुई जब सुखबीर सिंह बादल अपने समर्थकों से मिल रहे थे।

नारायण सिंह चौड़ा ने पतलून की जेब से पिस्तौल निकालकर फायर करने की कोशिश की, लेकिन उनकी सुरक्षा टीम और पुलिसकर्मियों की तत्परता के कारण उसे तुरंत रोक दिया गया। हालांकि, उसने गोली चला दी, जो दीवार पर जाकर लगी

।पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाने वाले हमलावर नारायण सिंह चौड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया है। हमले को नाकाम कर दिया गया है और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया गया है। पुलिस के मुताबिक, चौड़ा कुछ और करने की कोशिश करता, उससे पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने इस घटना पर कहा कि पुलिस की सतर्कता और तैनाती के कारण यह हमला नाकाम रहा। पुलिसकर्मी ऋषपाल सिंह, जसबीर और परमिंदर ने सतर्कता दिखाते हुए हमलावर को तुरंत काबू में कर लिया।पुलिस जांच में यह सामने आया है कि नारायण सिंह चौड़ा का आपराधिक इतिहास रहा है। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और उससे पूछताछ जारी है।

शुरुआती जांच में यह संकेत मिला है कि वह किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में था।घटना के बाद सुखबीर सिंह बादल ने अपने सहयोगियों और पुलिस की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह उनकी सतर्कता और सूझबूझ का ही नतीजा है कि वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि यह हमला न केवल मुझ पर, बल्कि लोकतंत्र पर हमला है।इस हमले के बाद पंजाब की राजनीति में हलचल मच गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और नेताओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।

पंजाब सरकार ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया है और सुरक्षा व्यवस्था को और दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।सुखबीर सिंह बादल पर हुआ यह हमला गंभीर साजिश का संकेत देता है। हालांकि, उनकी सुरक्षा टीम और पुलिस की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया। इस घटना ने नेताओं की सुरक्षा पर नई बहस छेड़ दी है और सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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