प्रमुख संवाद, 02 दिसंबर।
कोटा। मुकुंदराविहार स्थित हरे कृष्ण मंदिर में आयोजित श्रील प्रभुपाद आश्रय समारोह में 120 भक्तों ने भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया। इस समारोह में पुरुषों और महिलाओं ने समान उत्साह के साथ भाग लिया और जीवन को आध्यात्मिक दिशा में मोड़ने का प्रण लिया।आश्रय समारोह ने भक्तों के जीवन में नई उमंग और प्रेरणा का संचार किया और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
आध्यात्मिक उत्साह का अनूठा आयोजन
मंदिर के उपाध्यक्ष राधाप्रिय दास ने इस अवसर पर कहा, “भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का मार्ग जीवन को सुख और शांति प्रदान करता है। श्रील प्रभुपाद, गौड़ीय वैष्णव परंपरा के महान आचार्य, ने इस मार्ग को विश्वभर में फैलाने का कार्य किया है।” उन्होंने समझाया कि आश्रय लेने की प्रक्रिया छह चरणों में पूरी होती है, जिसमें पुस्तकों का अध्ययन, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार शामिल हैं। यह दीक्षा से पहले की तैयारी है, जिसमें भक्तों को कम से कम दो साल का समय लगता है।
भक्ति का संदेश और उत्साह
समारोह में भाग लेने वाले भक्तों ने इसे अपने जीवन की नई शुरुआत बताया। सभी ने भक्ति साधना में आगे बढ़ने और श्रीकृष्ण की सेवा में जीवन समर्पित करने का प्रण लिया। आयोजन का उद्देश्य जीवन के दुखों को त्यागकर सुख और शांति का मार्ग अपनाने का संदेश देना था।
हरे कृष्ण मंदिर का यह आयोजन समाज में आध्यात्मिक चेतना फैलाने और लोगों को भक्ति मार्ग पर प्रेरित करने का उत्कृष्ट प्रयास था। उपस्थित भक्तों ने इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ बताया और मंदिर के इस प्रयास की सराहना की।
भक्ति मार्ग के चरण
इस अवसर पर राधाप्रिय दास ने भक्ति मार्ग के विभिन्न स्तरों की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “यह कार्यक्रम भक्तों को आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सभी छह चरण पार करने के बाद भक्त श्रील प्रभुपाद का आश्रय लेने के लिए तैयार होते हैं और अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं।”