विद्युत निगमों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का प्रदेशव्यापी आक्रोश

प्रमुख संवाद

कोटा, 29 नवंबर। राजस्थान में विद्युत क्षेत्र के वितरण, प्रसारण, और उत्पादन निगमों के निजीकरण के प्रयासों के खिलाफ कर्मचारियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में राज्यभर के विद्युत कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।

संघर्ष समिति के सदस्यों रविंद्र मालव, धनराज गौड़ और योगेंद्र हाडा ने बताया कि सरकार हेम मॉडल के तहत 33/11 केवी ग्रिड सबस्टेशनों के 11 केवी फीडरों का सेग्रीगेशन और सोलराइजेशन कर निजीकरण कर रही है। इसके अलावा, प्रसारण निगम में “क्लस्टर मॉडल” के तहत 400 केवी और 765 केवी जीएसएस को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। उत्पादन निगम में भी “जॉइंट वेंचर” के नाम पर निजीकरण किया जा रहा है।

इस नीति के विरोध में कोटा जिले के विद्युत वितरण, उत्पादन और प्रसारण निगमों के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। अधीक्षण अभियंता को ज्ञापन सौंपने के बाद, कर्मचारियों ने रैली निकालकर जिला कलेक्ट्रेट कोटा में माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

संघर्ष समिति के सदस्य कपिल मालव, दीपराज दुबे, चेतन गौड़, वीरेंद्र कश्यप, भरतराम सैनी, मुकेश गोस्वामी, मनीष श्रीवास्तव, हिमांशु बेरवा, और रिंकू गुप्ता ने नेतृत्व करते हुए प्रदर्शनकारियों की अगुवाई की। रैली में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ अपने आक्रोश का प्रदर्शन किया और सरकार से जनहित में इन निर्णयों को वापस लेने की मांग की।

हमारी ऊर्जा, हमारा अधिकार” के नारे के साथ यह प्रदर्शन सरकार को चेतावनी देता है कि विद्युत क्षेत्र के निजीकरण के प्रयासों का हर स्तर पर कड़ा विरोध किया जाएगा।

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