संजय कुमार, 28 नवंबर।
अजमेर: अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़े विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। हिंदू पक्ष की ओर से दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका को सिविल कोर्ट (वेस्ट) के न्यायाधीश मनमोहन चंदेज ने सुनवाई योग्य मानते हुए स्वीकार कर लिया है। याचिकाकर्ताओं ने इस स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग की है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि क्या यह स्थान पहले शिव मंदिर था।
मामले का दावा:
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान दरगाह की जगह पर प्राचीन शिव मंदिर स्थित था। याचिकाकर्ता ने अपने दावे के समर्थन में कुछ साक्ष्य भी अदालत में प्रस्तुत किए हैं। कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने और 20 दिसंबर को अगली सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
याचिका की पृष्ठभूमि:
यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई है। उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इस मामले को धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से गंभीरता से देखा जाए। उनका कहना है कि यह मामला न केवल हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि इससे सामाजिक सौहार्द भी प्रभावित हो सकता है।
सामाजिक और धार्मिक बहस:
यह मामला धार्मिक और सामाजिक स्तर पर तीव्र चर्चा का विषय बन गया है। हिंदू सेना का कहना है कि यह उनकी आस्था का सवाल है, वहीं दरगाह प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। कोर्ट का यह निर्णय आगे की कार्रवाई के लिए अहम माना जा रहा है।
आगे का रास्ता:
अदालत के निर्देश के बाद एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा सर्वे किए जाने की संभावना है। इस सर्वे से यह तय होगा कि दरगाह का इतिहास क्या है और क्या यहां किसी शिव मंदिर के अस्तित्व के प्रमाण मिलते हैं।
निष्कर्ष:
20 दिसंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होने वाली है। तब तक सभी पक्षों के दस्तावेज और दावे प्रस्तुत किए जाएंगे। इस विवाद ने न केवल ऐतिहासिक तथ्यों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक स्तर पर एक नई बहस को जन्म दिया है।