प्रमुख संवाद
कोटा, 26 नवंबर। संयुक्त किसान मोर्चा एवं ट्रेड यूनियनों की समन्वय समिति के आह्वान पर आज कोटा कलेक्टर कार्यालय पर विभिन्न समस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना दिया गया और अतिरिक्त ज़िला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू के नाम १० सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मण्डल में दुलीचंद बोरदा, नंदलाल धाकड़, फ़तहचंद बागला, बी०पी०मीणा, महेंद्र पाण्डे, उमाशंकर, नन्दकिशोर शर्मा, शब्बीर शामिल थे। धरने में महेंद्र नेह, हंसराज चौधरी, राकेश गालव, रविंद्रसिंह, नारायण शर्मा आदि वक्ताओं ने भी विचार व्यक्त किये।
ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया को भारत सरकार द्वारा किसानों व मज़दूरों के ख़िलाफ़ उठाये जा रहे कदमों की ओर ध्यान आकर्षित कर माँग की गई है की सरकार द्वारा किये गये वादे के अनुरूप स्वामीनाथन फ़ार्मूले के आधार पर सभी फसलों की ख़रीद का क़ानून बनायें। किसानों का क़र्ज माफ़ करें। मज़दूर विरोधी श्रमिक कोड वापस लें। पेट्रोल- डीजल की क़ीमतें कम करें। निजीकरण पर रोक लगायें और बीमा, बैंक, रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण करना बंद करें। सरकारी क्षैत्र में रिक्त पदों पर भर्ती करें और कर्मचारियों को OPS लागू करें। मनमाने तरीक़े से भूमि अधिग्रहण और जंगलात भूमि अड़ानी व अन्य कंपनियों को देना बंद करें। स्मार्ट मीटर लगाना बंद करें। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर रोक लगायें। महिलाएँ,दलित व आदिवासियों पर बढ़ते हमलों पर रोक लगायें। सभी वक्ताओं ने केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों की तीखी आलोचना करने के साथ ही राज्य में चल रही पर्ची सरकार की तोथी घोषणाओं पर भी तीखा तंज कसा। किसान नेताओं ने कहा कि पहले डी०ए०पी० खाद और अब यूरिया की कालाबाज़ारी तथा सिंचाई के लिये टेल क्षैत्र का तरसता किसान राज्य सरकार व ज़िला प्रशासन की अकर्मण्यता का ज्वलंत उदाहरण है।