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कोटा, 21 नवंबर: राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (आरटीयू), कोटा की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई द्वारा ‘जनजातीय गौरव दिवस’ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जनसंपर्क अधिकारी डॉ. एस.डी. पुरोहित ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के अदम्य साहस और त्याग को स्मरण करना है, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक योगदान दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. सिंह ने कहा, “आदिवासी समुदाय हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता का महत्वपूर्ण आधार है। उनकी परंपराएं, कला, संगीत, नृत्य और प्रकृति से सामंजस्यपूर्ण जीवनशैली ने हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया है। पर्यावरण संरक्षण में आदिवासियों की भूमिका आज के दौर में प्रेरणा स्रोत है।” उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे आदिवासी समुदाय के संघर्षों और उनकी अनमोल परंपराओं का सम्मान करें और राष्ट्र निर्माण में योगदान दें।
डीन फैकल्टी अफेयर्स प्रो. दिनेश बिरला ने अपने संबोधन में भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान को याद करते हुए कहा, “भगवान बिरसा मुंडा ने अपने जीवन को आदिवासी समाज के उत्थान और अन्यायपूर्ण जमींदारी प्रथा के खिलाफ जनजागृति के लिए समर्पित किया। हमें आदिवासी समाज की जरूरतों और अधिकारों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए।”
एनएसएस चीफ कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश भट्ट ने कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य समाज को आदिवासी समुदाय की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराना है। उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज ने प्रकृति के संरक्षण और पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित रखने में अमूल्य योगदान दिया है।
कार्यक्रम के दौरान एनएसएस नोडल ऑफिसर डॉ. पिंकी मीना ने आदिवासी जीवनशैली और प्रकृति से उनके गहरे जुड़ाव पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा, “आदिवासी समाज का रहन-सहन हमें सिखाता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन कैसे जिया जा सकता है।”
इस अवसर पर डॉ. शिवलाल, एनएसएस वालंटियर्स श्रेष्ठ शर्मा, शक्ति सिंह मीणा, सुभाष मेघवाल और मुकेश पटेल सहित कई छात्रों ने सक्रिय भूमिका निभाई। डॉ. एस.डी. पुरोहित ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में एकता, सम्मान और जागरूकता की भावना को प्रोत्साहित करते हैं।
कार्यक्रम का समापन आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुआ।