संजय कुमार, 18 नवंबर।
बदरीनाथ धाम:
रविवार रात 9:07 बजे विधि-विधान के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने 10,000 से अधिक श्रद्धालु। सेना के भक्तिमय बैंड की धुनों और श्रद्धालुओं के सामूहिक जयघोष के बीच बदरीनाथ धाम में आस्था का उत्सव चरम पर था।
इस अवसर पर स्थानीय लोक कलाकारों और महिला मंगल दलों ने पारंपरिक नृत्य और जागरों की प्रस्तुति दी। कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा 2024 का भी समापन हो गया।
आंकड़ों में इस बार का रिकॉर्ड:
चारधाम यात्रा का शुभारंभ 10 मई 2024 को हुआ।
बदरीनाथ धाम: 14,35,341 तीर्थयात्री।
केदारनाथ धाम: 16,52,076 तीर्थयात्री।
गंगोत्री धाम: 8,15,273 तीर्थयात्री।
यमुनोत्री धाम: 7,14,755 तीर्थयात्री।
कुल श्रद्धालु: 46,17,445।
इस साल यात्रा केवल 153 दिनों तक चली, लेकिन प्रतिदिन औसतन 31,372 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए।
शीतकालीन दर्शन की व्यवस्था:
बदरीनाथ धाम: भगवान बदरी विशाल पांडुकेश्वर (जोशीमठ, चमोली) में विराजमान होंगे।
केदारनाथ: बाबा केदार ऊखीमठ (रुद्रप्रयाग) में पूजा-अर्चना हेतु उपलब्ध रहेंगे।
गंगोत्री: मां गंगा मुखवा (उत्तरकाशी) में पूजी जाएंगी।
यमुनोत्री: मां यमुना खरसाली में विराजमान होंगी।
धार्मिक मान्यता:
हिंदू धर्म में माना जाता है कि शीतकाल में देवता उत्तराखंड के इन धामों में पूजा करते हैं। इसी कारण से चारधाम के कपाट बंद किए जाते हैं और देव प्रतिमाएं शीतकालीन गद्दी स्थलों पर ले जाई जाती हैं।
निष्कर्ष:
चारधाम यात्रा 2024, श्रद्धालुओं की संख्या और धार्मिक उत्साह के लिहाज से ऐतिहासिक रही। अब शीतकाल में भक्तगण गद्दी स्थलों पर भगवान के दर्शन कर सकते हैं।