प्रमुख संवाद
कोटा, 16 नवंबर: अष्टानिका महापर्व के आठवें दिन नसिया जी जैन मंदिर, दादाबाड़ी में पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री 108 शाश्वत सागर जी महाराज ने प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि दिगंबर जैन संतों की आहार पद्धति पूर्णत: वैज्ञानिक है। आहार बनाने और सेवा करने से पुण्य अर्जित होता है। महिलाओं में लज्जा और मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता है।
प्रवचन में उन्होंने कहा कि संसार के सुख-दुख पुण्य-पाप के अधीन हैं। पुण्य केवल धर्म के लिए किया जाए, सांसारिक सुख के लिए नहीं। उन्होंने नीति वाक्य “भोजन करना मां से चाहे जहर हो…” का महत्व बताया।
कार्यक्रम में शांति धारा, भक्तामर विधान, हवन, और शोभायात्रा का आयोजन हुआ। 108 इन्द्र-इंद्राणियों ने इन्द्रध्वज विधान पूजा की। शोभायात्रा समाजजन के साथ नगर भ्रमण कर मंदिर पहुंची।
रविवार को आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का 52वां आचार्य पदारोहण दिवस मुनि श्री शाश्वत सागर जी महाराज के सानिध्य में भक्ति और प्रवचन के साथ मनाया जाएगा।